होमोजिनाइज्ड मिल्क एक ऐसा दूध का प्रकार है जिसमें मलाई ऊपर कि सतह पर तैरती नहीं है क्यूंकी उस दूध में पाए जाने वाले फैट्स के कण एक प्रक्रिया में समरूप कर दिए जाते हैं | इन वसा के कणों को उनके प्राकृतिक माप से छोटा और एक समान बनाया जाता है ताकि मलाई या क्रीम एक जगह इकट्ठा न हो और पूरे दूध में समरूप विद्यमान रहे | इससे दूध का स्वाद भी उत्तम होता है |
होमोजिनाइज्ड मिल्क लंबे समय तक ताज़ा रहता है | ईस दूध के पाचन में भी कोई विशेष परेशानी नहीं होती है | साधारण दूध की तुलना में इसका स्वाद और इसकी संरचना पकवान बनाने के लिए अधिक उपयुक्त मानी गई है क्यूंकी भोजन में इसका उपयोग भोजन को अधिक स्वादिष्ट बनाता है |
होमोजिनाइज्ड मिल्क का उत्पादन दो चरणों में किया जाता है: –
पहले चरण में साधारण दूध को एक यंत्र में डाल कर छोटे छिद्रों वाली नलिकाओं के माध्यम से निचोड़ा जाता है | 2000-3000 पाउंड्स का निरंतर दबाव वसा कणों के व्यास को ही छोटा करने का प्रयास करता है| इससे यह होता है कि सारे वसा कण खंडित हो जाते हैं और छोटे रूप में आ जाते हैं | परंतु पहले चरण से निकलने के तुरंत बाद ही दूध में वापिस से मलाई यानि क्रीम एकत्रित होने लग जाती है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस प्रक्रिया के बाद भी फैट्स पूरी तरह से प्रोटीन में लिप्त होता है और सारे मॉलिक्यूल्स एक दूसरी कि तरफ आकर्षित रहते हैं | इसी कारण से दूसरे चरण में पुनः इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है ताकि क्रीम को समान रूप से वितरित कर दूध को और चिकना किया जा सके |
कई लोग पाश्चराइज्ड मिल्क को ही होमोजिनाइज्ड मिल्क समझ लेते हैं | जबकि पाश्चराईज़ेशन दूध को उच्च तापमान पे उबालकर उसे ठंडा करने कि प्रक्रिया को कहते हैं जो हर प्रकार के दूध के लिए आवश्यक है | इससे दूध में पाए जाने वाले हानिकारक जीवाणु समाप्त किए जाते हैं ताकि वह सेवन के लिए उपयुक्त हो | होमोजिनाइज्ड मिल्क को भी पाश्चराइज़ किया जाता है |
पारस डेरी होमोजिनाइज्ड दूध का उत्पादन इस प्रकार करती है कि उसके पौष्टिक तत्व का मूल्य प्रक्रिया के पूर्व एवं उसके बाद भी सामान्य रहता है और दूध की गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी नहीं होती है |